Thoughts of Mahatma Gandhi

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  • श्रद्धा उसका नाम है जो विरुद्ध निशानी होते हूए अचलित रहती है ।

    ५ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • आवाज करने से आवाज नहीं मिटती है, चुपकीसे मिटती है ।

    ६ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • व्याधिके डरसे जितने आदमी मरते हैं, उनसे कम व्याधिसे मरते हैं ।

    ७ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • विभूतिमान अपनी विभूतिके कारण अमर होते हैं ।

    शिमला गुरुदेव जयंती, ८ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • विभूतिके कारण अमर होना बड़ी बात नहीं है ।जो रोजके कार्यमें अपना धर्म पूरा बजाता है वह विशेष है ।

    ९ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • जो बुरे खबरसे घभराता नहीं है, वह अच्छे खबरसे फूलेगा नहीं ।

    १० मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • भलाईके साथ सब सहन करने की हिम्मत नहीं रहती है, तब भलाई पंगु है ।

    ११ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • हम किसीसे भी बहतर नहीं हैं-इस विचारमें सत्य भरा है, नम्रता है ।

    १२ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • अपना दोष कबूल करना बड़ी मुसीबत है तो भी सिवाय इसके मैल निकलता नहीं ।

    १३ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
  • ट्रेनको चलाने वाली शक्ति सीटी नहीं है, लेकिन बाफमें रही युक्त शक्ति है ।

    कालका १४ मई, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८४, पृ. ४३९
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