Thoughts of Mahatma Gandhi

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  • अगर हमें एक कोस या एक हजार चलना है तो पहला कदम पहला ही रहेगा और दूसरा चल ही नहीं सकेंगे जब तक अगला नहीं चले हैं ।

    पूना ५ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • सितारोसे भरा हूआ आकाश और ईएसआई ही खूबीओंसे भरा हूआ भीतरी आकाश से बढ़कर दूसरा क्या आश्चर्य चाहीये?

    ६ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • अगर ध्यानसे देखें तो पृथ्वीपर स्वर्ग छाया हूआ है, आकाशमें नहीं ।

    ७ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • जो जीवनके सुरमें चलता है उसे कभी थकान नहीं होगी ।

    ८ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • जो हमेशा सत्यके पथपर ही चलता है वह कभी गिरता नहीं ।

    ९ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • अहंतामें निकला हूआ वचन हमेशा जूठा समझो ।

    पूना १० मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • अल्प या महादोष करना ख़राब है लेकिन उसे छिपाना और ख़राब है ।

    ११ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • जो आदमी सत्यका सर्वत पालन करता है उसे हमेशा सत्यके लिये मरने की तैयारी रखना है और समय आने पर मरना है ।

    १२ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६२
  • हमसे गलती हो गई है तो उसे कबूल न करने में हम गलतीको दोहराते हाउ और छिपाने का और गुनाह करते हैं ।

    १३ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६३
  • सत्याग्रही वही हो सकता है जो जीने की और मरने की कला जानता है ।

    बम्बई १४ मार्च, १९४६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय खण्ड ८३, पृ. ४६३
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